गांवली की चिट्ठी ......
रात इतने तन्हें, क्यों होते हैं
अलग -अलग हैं हम
फिर भी
पास मैं तुम्हें पाती हूँ
पर किस्मत को क्यूँ दोस दूँ ...
बस इतनी ही शिकायत है रब से
जिसे पाना हो मुश्किल
मोहब्बत उन्ही से क्यूँ होती है ...
साहिल ....
आगे लिखती हैं ....
इस जीवन की यही है कहानी ....
आनी -जानी है दुनिया ...
जैसे दरिया का पानी ....
तुम्हारी ...गांवली
इस जीवन की यही है कहानी ....
जवाब देंहटाएंआनी -जानी है दुनिया ...
जैसे दरिया का पानी ....
तुम्हारी ...
Badi Pyaari Si Rachna Laxmi Naraayan Ji... Likhte Rahiye... Mere sangi banane ke liye Bahut-Bahut shukriya..
बहुत सुन्दर लहरे जी...मन खुश हो गया पढ़ कर.
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