अब ना ,कहना
अब ना ,रोना
अब ना ,हंसना
अब ना , इंतजार करना
अब ना ,रूठ पाओगी
अब ना ,मुझे ढूंढ़ पाओगी
अब ना ,मुझे देख पाओगी
अब ना ,मिलन ... होगा
अब ना ,तुम्हें देंगे कोई ताने
अब... तो मुझे बस
तुम अतीत में ही ढूंढ़ पाओगी
जब- तक तुम्हें पता चलेगा ...
मैं कहाँ हूँ ...
तब -तक
मेरी , लाश राख में तब्दील हो गया होगा ?
मैं हंसता हुआ जा रहा हूँ
अब ना ,तुम रोना
मुझे यूँ ... न याद कर
आंसू ,बहना
हँसते हुए
सखी तुम अपनी .. लड़ाई .... स्वयं लड़ना
लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "
वाह वाह क्या बात है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई........!!!
संजय भाई हार्दिक आभार ... कोसीर ... ग्रामीण मित्र ! में आपका स्वागत है ,बरसो से आप लोंगो का इंतजार था
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