मेरी रचनाये

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शनिवार, 7 अप्रैल 2012

कविता ... जलता रहा मैं दीपक बनकर ...


कविता 
जलता रहा मैं दीपक बनकर .........
न जाने किस विश्वास पर 
दिन -रात मैं राह  तकता रहा 
जलता रहा मैं दीपक बनकर ..........
पर न आयीं तुम हवाएं बनकर 
जल गये मेरे अरमान सारे 
मन कि अगन प्यास बनकर रह गयी 
तन भी मेरे साथ न दिया 
मिट गये सपने सारे 
जल गये लम्हें प्यारे 
न आयीं तू मेरे सपनों में 
न आयीं तू मेरे नगमों में 
मैं जलाता रहा विश्वास कि आग में 
मै तड़पता रहा याद में 
मै बन न सका  तुम्हारा अपना 
क्योकि तुम भूल गयी मेरी नई संवेदना 
मैं  अकेला हो गया सांवली गांवली........
शायद ,मैं विश्वास पर जलता रहा 
पर हो न सका अपना 
जलता रहा मै दीपक बनकर 
पर बन न सका तेरा अपना 
@लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "

मेरा गाँव शहर .. नहीं है पर शहर से कम नही ..लक्ष्मी नारायण लहरे

छत्तीसगढ़ प्रदेश के रायगढ़ जिले के अंतिम छोर पर मेरा गाँव बसा है 
ग्राम कोसीर प्राचीन नगरी है यहाँ पुरातत्विक मंदिर है जो अपने -आप
में एक अलग नाम है 
मेरा गाँव शहर .. नहीं है पर शहर से  कम नही ... 
इन दिनों कोसीर की चर्चा आम हो गई है क्या शहर ,क्या गाँव हर तरफ  
चर्चा हो रही है ,रायगढ़ जिले की सबसे बड़े गाँव कोसीर में एक नया 
अध्याय का उदय हो रहा जो अब -तक शहर में कार्यक्रम होते थे 
आज गाँव में होने जा रहा है !
१३ अप्रैल से  १९ अप्रैल तक श्रीमद भागवत - सप्ताह -ज्ञानयज्ञ कथा  का 
आयोजन होने जा रहा है जो ऐतिहासिक छड है जिसकी तैयारी जोर -शोर 
से चल रही है इस कार्यक्रम को लेकर ग्रामीण जन अति उत्साहित नजर 
आ रहे हैं ! 
इस श्रीमद भागवत - सप्ताह -ज्ञानयज्ञ  कार्यक्रम के कथा वाचक श्री आचार्य गोपाल 
मृदुल कृष्ण शास्त्री महाराज जी का आगमन कोसीर की भूमि पर हो रहा है जो 
सौभाग्य की बात है !
विगत दिवस महाराज जी की टीम के सदस्य आचार्य पंडित रामाभिलाष मिश्र जी 
आचार्य पंडित रामाभिलाष मिश्र जी व कोसीर के सरपंच
नन्द राम लहरे ,वैद कमल जी मंदिर में बैठक के दौरान 

आचार्य पंडित रामाभिलाष मिश्र जी 

ग्रामीण जन ...
कोसीर पहुंचे और कथा स्थल का निरिक्षण किये और ग्रामीणों से मिले ...

श्री आचार्य गोपाल 
मृदुल कृष्ण शास्त्री महाराज जी 
इस श्रीमद भागवत - सप्ताह -ज्ञानयज्ञ  कार्यक्रम में सादर आमंत्रित है .........

शनिवार, 24 मार्च 2012

आस्था का केंद्र कोसीर .. ग्रामीण पर्यटन की अपार संभावनाएं -लक्ष्मी नारायण लहरे

इतिहास के आईने में प्राचीन नगरी कोसीर .. ग्रामीण पर्यटन की अपार संभावनाएं.......
छत्तीसगढ़ प्रदेश के रायगढ़ जिले के अंतिम छोर पर ग्राम कोसीर बसा है जो रायगढ़ जिले के सबसे बड़े गाँव में आता है !  ग्राम कोसीर महानदी किनारे बसा है पश्चिम रायपुर जिला अब वर्तमान में बलौदाबाजार तथा उत्तर में जांजगीर (चांपा) की सरहद से लगी है 
रायगढ़ जिले के अंतिम छोर में बसाहट के कारण यहाँ का विकास नही हो पाया जो विकास होना था नही हुआ 
कोसीर की इतिहास पर अगर गौर करें तो कोसीर पूर्व में संबलपुर की सियासत से तालुक रखती थी ,यही नही कोसीर चंद्रपुर की राज सियासत से जुडी थी कोसीर में आज भी चंद्रपुर की राजा की जमींन आज भी है जो दान में दे राखी है 
जनसंख्या पर नजर डालें तो कोसीर नगर पंचायत योग्य है पर नही बन पाया .....

कोसीर के ह्रदय स्थल में माँ कौश्लेश्वरी देवी की प्राचीन मंदिर है ........आज कोसीर की प्राचीन मंदिर में चैत नवरात्री . की दीप प्रज्वलित किया गया ,नवरात्री पर्व की हार्दिक बधाई ..... ०१- क्रमश : ...

सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

बहुत याद हम आयेंगे ...

बहुत याद हम आयेंगे ...
माना की ,हमें दुश्मन वो समझते हैं 
हमारे प्यार को भी नफ़रत से देखते हैं 
पर हम , उनकी चर्चा प्यार में रखते हैं 
सबको मालूम है हमारी वफ़ा 
पर वो हमें बेवफा की नजर से देखा करते हैं 
सच तो ये है वो वफ़ा करके भी तड़पाते है 
अहसास नहीं होती उनकी बेवफाई 
उनकी कम बन जाये तो ठीक 
सच ,कहीं कोई कह दे 
तो नाराज हो जाते हैं 
बेवफाई की चादर ओढ़े वो 
हमारी मज़बूरी पर हँसते है 
हम हैं की " साहिल "
गम की घूंट पीकर भी 
उन्हें देख प्यार से मुस्कुराते हैं 
इस बात से अंजान भी नहीं हैं 
पर उनकी आदत सी हो गई है 
उनकी हंसी में भी नफरत झलकती है 
लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " 

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

बसंत ऋतू की शुभकामनाएं...


आइये कुछ झलकियां तो देख लीजिए मित्र मेरे ब्लाग में बसंत पंचमी की...
"आप सभी को हार्दिक दिल से शुभकामनाएं बसंत पंचमी की"

साभार: गूगल वेब को चित्रों के लिए.