मेरी रचनाये

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रविवार, 31 जुलाई 2011

हे प्रभु अब लौट आओ ! ......


हे प्रभु अब लौट आओ ,
प्रेम की दयानिधि 

ज्ञान के विधाता ,
मनुष्य के उद्धार करता 

अब प्रगट हो जाओ ,
सच और झूठ की 


पोल खोल दो ,
भाई को भाई से मिला दो 

जाती -भेद को हटा दो ,
धर्म -कर्म बता दो 

साहिल को रूप दिखा दो ,
हे प्रभु अब लौट आओ 

संकट से बचा लो ,
कुर्सी की लड़ाई समझा दो 

कानून की काली पट्टी हटा दो ,
तलवार के जगह फुल थमा दो 

सुने हर गोद में औलाद थमा दो ,
बेटा -बेटी के भेद को मिटा दो 












अब तो "साहिल " को गले लगा लो ,
हे प्रभु अब लौट आओ .............

लक्ष्मी नारायण लहरे  "साहिल "
 कोसीर ... ग्रामीण मित्र !

बुधवार, 27 जुलाई 2011

एक -पत्र



गांवली की चिट्ठी ......


बस इतनी ही शिकायत है ....


रात इतने तन्हें, क्यों होते हैं 
अलग -अलग हैं हम 
फिर भी 
पास मैं तुम्हें पाती हूँ 
पर किस्मत को क्यूँ दोस दूँ ...
बस इतनी ही शिकायत है रब से 
जिसे पाना हो मुश्किल 
मोहब्बत उन्ही से क्यूँ होती है ...
साहिल ....
आगे लिखती हैं ....
इस जीवन की यही है कहानी ....
आनी -जानी है दुनिया ...
जैसे दरिया का पानी ....
तुम्हारी ...गांवली 

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल '

शनिवार, 16 जुलाई 2011

इन आँखों में अब नींद कहाँ .....

इन आँखों में अब नींद कहाँ 
इन आँखों में अब चैन कहाँ 
अपलक ,एकटक 
राह तुम्हारी ताकती है 
सुबह -शाम 
पल -पल ,हर पल 
बस तुम्हारे ही 
आने की 
खबर .......
 मन में संजोये .......
राह तुम्हारी ताकती है 
सुबह से शाम होती है ....
सावन का वो महिना ...
बिताये थे हम साथ -साथ 
वो बीते पल याद आते हैं 
प्रिये ......
गांवली,सांवली ....
रिम -झिम बारिस की बूंदें 
मन को बहुत तड़पाते हैं 
लौट आवो .....
तुम्हें ...ये नयन अब भी याद करते हैं ....
क्या ? तुम्हे मेरी चिट्ठी नहीं मिल पाई 
या अब भी नाराज हो 
लौट आवो .....

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "
कोसीर ...ग्रामीण मित्र !

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

आजकल .....

आजकल लोगों के चेहेरे खुश नजर ,आते नहीं ! 
बेघर हैं लोग इस छोटी सी उमर में 
अनजान ,नादान बन कर जी रहे हैं 
आँखों में ढेर -सारे सपनें हैं 
पर वक्त के आगे खुद से बेगानें हैं 
यूँ तो सफ़र जिंदगी की मज़बूरी बन गई है 
पर ,हाथों में खंजर लिए जी रहे हैं 
न जाने कब क्या हो जाये 
यही सोंच कर मधुशाला जाते हैं 
लौटते हुए घर 
वो ! श्मशान पर नजर आते हैं 
बहक गए हैं जमाने की रुसवाई से 
तंग -कपडे में विज्ञापन आजमातें हैं 
न जाने कौन सी अनाज खाते हैं 
बदलते तस्वीर में ......
रंग भर कर 
नीलाम करते हैं 
वो .... साहेबजादे रुपये के लिए 
अपनी ईमान को बेच जाते हैं 
भला क्या कहें ? 
भला हो क्या ....
लोगों को अमीर-गरीब की खाई से 
जात-पात की लड़ाई से 
भाई -भाई को लड़ाते हैं 
ऐ.... मेरे अजीज दोस्तों 
जिन्दगी की सफ़र में ....
पल -दो -पल पड़ोसी ही काम आते हैं ......

लक्ष्मी नारायण लहरे  "साहिल '

बुधवार, 13 जुलाई 2011

आदिवासी बच्चों को डेरे में जाकर स्कूल में दिये दाखिले.......


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मां कौशलेश्वरी ज्ञानोदय विद्या मंदिर की सराहनीय पहल
अभयसिंह ने कहा हम पढ़ाना चाहते हैं
संस्था ने 05 बच्चों के पढ़ाई का जिम्मा उठाया
कोसीर
 । ग्राम कोसीर रायगढ़ जिले का सबसे बड़ा गांव है जो रायगढ़ के जिले के अंतिम छोर पर बसा है। विगत 17-18 वर्ष पूर्व सबरिया गोंड़ प्रजाति के परिवार कोसीर पहुंचे और घास फूस की झोपड़ी बनाकर बस गये। ये परिवार राज्य सरकार की कई योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं इन्हें गांव में सबरिया के नाम से जाना जाता है पर वास्तविक में ये सबरिया गोंड़ आदिवासी है जो कोसीर के पश्चिम दिशा में बस गए हैं। इनका जीवोपार्जन का मुख्यधारा दूसरों का काम करना, बकरी पालन, मुर्गी पालन कर अपना दिन गुजार रहे हैं। कोसीर में इनके 7-8 परिवार हैं जिसमें बूढें़, बच्चे, जवान की संख्या 30-35 हैं।

इनका मानना है कि कोसीर गांव अच्छा लग रहा है । इनकी जीवन में बहुत कुछ बदलाव आया है पर शिक्षा के क्षेत्र में कोसों दूर हैं जो इनके पिछड़ेपन का कारण है । लगभग 20 वर्ष होने को है पर बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाये।

विगत दिवस कोसीर के एक स्थानीय प्राइवेट स्कूल संस्था इनके डेरे पहुंचा तो इनके बच्चे दौड़कर आ गए। जब मां कौशलेश्वरी ज्ञानोदय विद्या मंदिर के प्राचार्य सनत कुमार चन्द्रा और उनके सहपाठी शिक्षक शंकर चन्द्रा, स्नेहा यादव लक्ष्मी कांत ने बच्चों को कहा क्या आप लोग पढऩा चाहते हो, तो टिंगू अभयसिंह ने कहा हां हम पढऩा चाहते हैं।

तब अभय सिंह के मां बाप और अन्य परिवार को समझाये तो अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए लछीराम तैयार हो गया और प्राचार्य सनत कुमार चन्द्रा नें उनके 5 बच्चों को स्वयं संस्था के खर्च से पढ़ानें-लिखाने, स्कूली यूनीफार्म, पुस्तकें, स्लेट, पेन नि:शुल्क पढ़ाने के लिए अपने कदम बढ़ाये और बच्चों को दाखिला दिये जिसमें छोटू पिता करियाराम 06 वर्ष, अभयसिंह पिता लच्छीराम 15 वर्ष, नरसिंह पिता लच्छी राम 06 वर्ष, गुडडू पिता बाबूलाल 07 वर्ष कन्हैया बाबूलाल 09 वर्ष ये बच्चे अब कोसीर के मां कौशलेश्वरी ज्ञानोदय विद्या मंदिर में पढऩें के लिए आ रहे हैं।

संस्था की पहल से ये गरीब बच्चे शिक्षा ग्रहण करनें के लिए आगे कदम बढ़ाये हैं जो प्रशंसनीय पहल है। मा कौशलेश्वरी ज्ञा. विद्या मंदिर के प्राचार्य ने कहा कि हम इन बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं हमारी संस्था इन्हें पहली से 10 वीं. तक अपने संस्था में नि:शुल्क षिक्षा देगी।