हे प्रभु अब लौट आओ ,
प्रेम की दयानिधि
ज्ञान के विधाता ,
मनुष्य के उद्धार करता
अब प्रगट हो जाओ ,
सच और झूठ की
पोल खोल दो ,
भाई को भाई से मिला दो
जाती -भेद को हटा दो ,
धर्म -कर्म बता दो
साहिल को रूप दिखा दो ,
हे प्रभु अब लौट आओ
संकट से बचा लो ,
कुर्सी की लड़ाई समझा दो
कानून की काली पट्टी हटा दो ,
तलवार के जगह फुल थमा दो
सुने हर गोद में औलाद थमा दो ,
बेटा -बेटी के भेद को मिटा दो
अब तो "साहिल " को गले लगा लो ,
हे प्रभु अब लौट आओ .............
लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "
कोसीर ... ग्रामीण मित्र !
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